
वाह रे भारतीय कानून
हमारे भारतीय कानून की बात ही निराली है जहां सारे गवाहों की गवाही के बावजूद हसती-खेलती जानों को लाशों में बदलने वाले हत्यारे से वह पूछता है कि क्या तुम्हें इस गुनाह को कबूल करने के लिए किसी प्रकार से प्रताड़ित या दबाव तो नहीं दिया जा रहा है। जब कि कैमरे की रिकार्डिंग और 100 से अधिक लोगों की गवाही के बावजूद भी आतंकवादी मासूम बन कर जवाब देता है नही....... मैं दबाव से मुक्त होकर जबाव दे रहा हूं.................। पढ़ने और सुनने में यह भले ही किसी फिल्म की स्क्रिप्ट लगे। वाह रे भारतीय कानून । अगर प्रत्येक देश का कानून इसे ही अनुसरणित करे तो वह दिन दूर नहीं जब आतंकवादी गिरफ्तारी से बचने के बजाए स्वयं आकर खुद को सुपुर्द कर दें। क्योंकि यहां उनके लिए हर वह सुविधा मौजूद है जो उन्हें शायद ही कभी बाहर मिल सकती। साथ मीडिया की लाइम लाइट में आने का मौका भी तो मिलता है। जब आतंकवादी पेशी पर कभी कभार कैमरे पर नजर आ जाते हैं तो इन्हें देखकर पहचानना मुश्किल है .......... न तो इनके चेहरे पर अपने किए का पश्चाताप होता है और न ही इनकी वेशभूषा ही किसी कैदी के जैसी। वास्तव में हमारा देश सच्चा मेहमान नवाज देश है जहां पुर्तगाल से करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद अबू सलेम की देखभाल ऐसे की जाती है। जैसे किसी विदेशी मेहमान की आवभगत की जा रही हो। एक देश अमेरिका था जिसने आतंकवादियों से मिले जख्म को बदला कुछ इस तरह लिया कि कोई भी अब उस तरफ आंख उठाकर तक नहीं देख सकेगा। और एक तरफ हम है अपने क्षमा के सिद्धांत पर डटे हुए।
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